
अरे तनेजा जी!...ये क्या?...मैँने सुना है कि आपकी पत्नि ने आपके ऊपर वित्तीय हिंसा का केस डाल दिया है...
Financial Violence Case: जब पत्नी ने किया केस!
हाँ यार!...सही सुना है तुमने, मैँने लंबी साँस लेते हुए कहा।
आखिर ऐसा हुआ क्या कि नौबत कोर्ट-कचहरी तक आ गई? 🤔
यार!...होना क्या था? एक दिन बीवी प्यार ही प्यार में मुझसे कहने लगी—
👉 "तुम्हें तो ऐसी होनहार, सुंदर, सुघड़ और घरेलू पत्नी मिली है कि तुम्हें खुश होकर मुझ पर पैसों की बरसात करनी चाहिए!"
फिर क्या हुआ? 😲
मैंने कहा, "ठीक है..."
फिर?
फिर क्या?... एक दिन जैसे ही मैंने देखा कि बीवी नीचे खड़ी सब्ज़ी खरीद रही है... मैंने आव देखा ना ताव और सीधा निशाना साधकर सिक्कों से भरी पोटली उसके सर पे दे मारी! 😆
कोर्ट में क्या हुआ? ⚖️
📌 जज (हैरान होकर): "तो, तनेजा जी, आप अपनी पत्नी पर सिक्कों की बारिश कर रहे थे?" 📌 तनेजा जी (मासूमियत से): "जी हुजूर! उसने खुद कहा था!" 🤷♂️ 📌 पत्नी: "मैंने तो फिगरेटिवली कहा था, जनाब!" 😤
नतीजा:
✔️ पति – "अब से बीवी की बातों को शब्दशः लेने से पहले डिक्शनरी देख लूंगा!" ✔️ पत्नी – "अब से 'पैसों की बरसात' नहीं, सीधे 'क्रेडिट कार्ड ट्रांसफर' कहूंगी!" 🤭
वित्तीय हिंसा (Financial Violence) क्या होती है?
👉 वित्तीय हिंसा एक ऐसा आर्थिक शोषण है जिसमें किसी व्यक्ति को आर्थिक रूप से कमजोर करके उसे नियंत्रण में रखने की कोशिश की जाती है। यह घरेलू हिंसा का एक प्रकार हो सकता है।
पति-पत्नी के बीच पैसे को लेकर विवाद से बचने के उपाय:
✔️ खुले संवाद करें: खर्चों और बजट पर बात करें। ✔️ अलग-अलग जिम्मेदारियाँ तय करें: कौन क्या खर्च करेगा, पहले से तय करें। ✔️ आपसी सम्मान रखें: मज़ाक भी ऐसा हो जिससे कोई आहत न हो। ✔️ संयुक्त बैंक खाता या व्यक्तिगत खर्च की सीमा तय करें।
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