एक बुढ़िया की कहानी राजस्थान की लोक-कथा || Story of an old lady folk tale of Rajasthan ||

एक बुढ़िया की कहानी राजस्थान की लोक-कथा || Story of an old lady folk tale of Rajasthan ||


एक समय की बात है कि राजा भोज और माघ पंडित सैर करने गए। लौटते समय वे रास्ता भूल गए। तब दोनों विचार करने लगे, ‘‘रास्ता भूल गए, अब किससे पूछे ?’’ तब माघ पंडित ने निवेदन किया, ‘‘पास ही एक बुढ़िया गेहूँ के खेत की रखवाली करती है, उससे पूंछे।’’

 

राजा भोज ने कहा, ‘‘हाँ ठीक है। चलो।’’

दोनों बुढ़िया के पास गए और कहा, ‘‘राम-राम !’’

बुढ़िया बोली, ‘‘भाई ! आओ, राम-राम !’’

तब बोले, ‘‘यह रास्ता कहाँ जाएगा ?’’

 

बुढ़िया ने उत्तर दिया, ‘‘यह रास्ता तो यहीं रहेगा, इसके ऊपर चलने वाले ही जाएँगे। भाई ! तुम कौन हो ?’’

 

‘‘बहन ! हम तो पथिक है।’’ राजा भोज बोला।

बुढ़िया बोली, ‘‘पथिक तो दो हैं- एक तो सूरज, दूसरा चन्द्रमा। तुम कौन से पथिक हो, भाई ! सच बताओ, तुम कौन हो ?’’

 

‘‘बहन ! हम तो पाहुने हैं।’’ माघ पंडित बोला।

‘‘पाहुने दो हैं, एक तो धन, दूसरा यौवन। भाई ! सच बोलो, तुम कौन हो ?’’

 

भोज बोला, ‘‘हम तो राजा हैं।’’

‘‘राजा दो हैं- एक इन्द्र, दूसरा यमराज। तुम कौन से राजा हो ?’’ बुढ़िया बोली।

 

‘‘बहन ! हम तो क्षमतावान हैं।’’ माघ बोला।...

‘‘क्षमतावान दो है एक पृथ्वी और दूसरी स्त्री भाई तुम कौन हो ?’’ बुढ़िया बोली

 

‘‘हम तो साधू हैं राजा भोज कहने लगा

‘‘साधू तो दो है एक तो शनि और दूसरा सन्तोष भाई तुम कौन हो ?’’ बुढ़िया बोली

 

‘‘बहिन हम तो परदेसी हैं’’ दोनों बोले

‘‘परदेसी तो दो है एक जीव और दूसरा पे़ड़ का पात भाई तुम कौन हो ?’’ बुढ़िया बोली

 

‘‘हम तो गरीब हैं’’ माघ पंडित बोला।

‘‘गरीब तो दो है एक तो बकरी का जाया बकरा और दूसरी लड़की ’’ बुढ़िया बोली

 

‘‘बहिन हम तो चतुर हैं’’ माघ पंडित बोला

‘‘चतुर तो दो है एक अन्न और दूसरा पानी तुम कौन हो सच बताओ ?’’

 

इस पर दोनों बोले, ‘‘हम कुछ भी नहीं जानते जानकार तो तुम हो ’’

तब बुढ़िया बोली, ‘‘तुम राजा भोज हो और ये पंडित माघ हैं जाओ यही उज्जैन का रास्ता है

 

(पुरुषोत्तमलाल मेनारिया)

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