कवि अपनी कला कभी नहीं भूलता - मज़ेदार कहानी || Poet never forgets his art - funny story ||

 

कवि अपनी कला कभी नहीं भूलता - मज़ेदार कहानी  || Poet never forgets his art - funny story ||

📝 कवि से डाकू बने व्यक्ति की अनोखी कहानी || Poet Turned Robber - A Unique Tale 🔫

कभी-कभी हालात इंसान को ऐसा मोड़ दे देते हैं कि उसकी पहचान ही बदल जाती है। ऐसी ही एक कहानी है एक कवि की, जो गरीबी से तंग आकर डाकू बन गया। लेकिन उसकी कवि आत्मा ने उसे डकैती में भी अपनी अलग पहचान बनाए रखने पर मजबूर कर दिया! 😅

🌆 डकैती की रात एक रात, वह एक बैंक में डकैती डालने गया। अंदर घुसते ही उसने पिस्तौल तान दी और पूरी शायरी के अंदाज में बोला -

🎤 "अर्ज़ किया है … तकदीर में जो है, वही मिलेगा, तकदीर में जो है, वही मिलेगा... 😏 हैंड्स अप! अपनी जगह से कोई नहीं हिलेगा!!" 😆

🏦 कैशियर से संवाद फिर वह कैशियर के पास गया और बड़े ही प्रभावशाली शब्दों में कहा -

🎤 "अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो, अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो... 🤨 जो कुछ भी तुम्हारे पास है जल्दी से इस बैग में डाल दो!" 😆💰

🚪 बैंक से विदाई जब वह बैंक लूट चुका था, तो जाते-जाते अपनी छवि बनाए रखने के लिए एक और शेर सुना गया -

🎤 "भुला दे मुझे, क्या जाता है तेरा, भुला दे मुझे, क्या जाता है तेरा... 😎 मैं गोली मार दूंगा, जो किसी ने पीछा किया मेरा!" 🔫🤣

😂 सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे हालात कैसे भी हों, असली पहचान कभी नहीं बदलती। अगर कोई कवि है, तो वह अपनी कला को कहीं भी छोड़ नहीं सकता, भले ही वह डकैती ही क्यों न कर रहा हो! 😆

अगर आपको यह मज़ेदार कहानी पसंद आई हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें! 😃👍

टिप्पणियाँ