क्या है सिंहासन बत्तीसी की कहानियाँ और कहा से आया सिंहासन || kya hai sinhaasan batteesee kee kahaaniyaan aur kaha se aaya sinhaasan ||

 

क्या है सिंहासन बत्तीसी की कहानियाँ  और कहा से आया सिंहासन  || kya hai sinhaasan batteesee kee kahaaniyaan  aur kaha se aaya sinhaasan ||

🪑 सिंहासन बत्तीसी की कहानियाँ – कहाँ से आया यह चमत्कारी सिंहासन?

Sinhaasan Batisi Ki Kahaniyaan – Origin of the Legendary Throne

🔹 परिचय (Introduction)

भारत की प्राचीन लोककथाओं में "सिंहासन बत्तीसी" का विशेष स्थान है। यह कहानियाँ राजा विक्रमादित्य की अद्भुत न्यायप्रियता, वीरता और ज्ञान को दर्शाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सिंहासन कहाँ से आया? और इसमें 32 पुतलियों का क्या रहस्य था? आइए, इस कहानी को विस्तार से जानते हैं।


🏰 राजा भोज और रहस्यमयी सिंहासन

🔹 एक रहस्यमयी घटना

राजा भोज उज्जैन के महान शासक थे। वे अपनी न्यायप्रियता और दानशीलता के लिए प्रसिद्ध थे। एक दिन, एक किसान अपने खेत में सब्ज़ियाँ उगा रहा था, लेकिन खेत के बीच का एक टुकड़ा खाली रह गया।

इससे भी अजीब बात यह थी कि जब भी किसान उस खाली ज़मीन पर बने मचान पर चढ़ता, तो वह अनायास ही चिल्लाने लगता –
"कोई है? राजा भोज को पकड़ लाओ और सज़ा दो! मेरा राज्य उससे ले लो!"

सारी नगरी में यह खबर आग की तरह फैल गई। राजा भोज को जब यह बात पता चली, तो वे खुद उस खेत में पहुँचे


🪑 सिंहासन की खोज

राजा भोज ने भी देखा कि जैसे ही किसान मचान पर चढ़ता, वह अजीब बातें करने लगता। राजा ने तुरंत अपने पंडितों और ज्योतिषियों को बुलाया।

उन्होंने अपनी गुप्त विद्या से पता लगाया कि उस स्थान के नीचे कुछ अद्भुत छिपा हुआ है। राजा भोज ने तुरंत खुदाई करवाने का आदेश दिया।

🛕 प्रकट हुआ चमत्कारी सिंहासन

जैसे ही खुदाई शुरू हुई, तो एक अद्भुत सिंहासन प्रकट हुआ। इस सिंहासन के चारों ओर 32 पुतलियाँ खड़ी थीं। लेकिन जब मजदूरों ने सिंहासन को उठाने की कोशिश की, तो वह टस-से-मस नहीं हुआ

एक विद्वान पंडित ने कहा, "यह कोई साधारण सिंहासन नहीं, बल्कि देवताओं द्वारा निर्मित है। यह तब तक अपनी जगह से नहीं हिलेगा, जब तक राजा स्वयं इसकी पूजा-अर्चना नहीं करेंगे।"

राजा भोज ने विधि-विधान से सिंहासन की पूजा की। इसके बाद वह हल्का होकर स्वयं ऊपर आ गया


💎 सिंहासन की विशेषता

यह सिंहासन दुर्लभ रत्नों से जड़ा हुआ था। इसकी चमक अद्भुत और दिव्य थी। इसके चारों ओर खड़ी 32 पुतलियाँ ऐसी प्रतीत होती थीं मानो वे अभी बोल उठेंगी

राजा भोज ने आदेश दिया कि खजाने से धन निकालकर सिंहासन को ठीक कराया जाए। पाँच महीनों के बाद, सिंहासन पूरी तरह से चमक उठा

अब राजा भोज इस अद्भुत सिंहासन पर बैठने के लिए तैयार थे।


🎭 सिंहासन बत्तीसी की पहली कथा – पुतलियों का रहस्य

पूजा-पाठ के बाद, जैसे ही राजा भोज ने अपना दाहिना पैर सिंहासन पर रखा, सभी 32 पुतलियाँ ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगीं

राजा भोज चौंक गए! उन्होंने पुतलियों से पूछा –
"ओ सुंदर पुतलियों! तुम क्यों हँसीं?"

👸 पहली पुतली – रत्नमंजरी की कथा

सिंहासन की पहली पुतली का नाम "रत्नमंजरी" था। उसने राजा भोज से कहा –
"राजन! आप बहुत तेजस्वी, धनी और बलवान हैं। लेकिन आपके अंदर घमंड भी है। जिस राजा का यह सिंहासन है, वे इतने महान थे कि उन्होंने कभी अभिमान नहीं किया।"

राजा भोज को गुस्सा आया और उन्होंने पूछा –
"मैं कैसे मान लूँ कि राजा विक्रमादित्य मुझसे अधिक महान थे?"

इस पर रत्नमंजरी पुतली ने एक कहानी सुनाई, जो राजा विक्रमादित्य के पराक्रम और न्यायप्रियता को दर्शाती थी।

(जारी रहेगा… 🔜)


📖 सिंहासन बत्तीसी की शिक्षाएँ

बुद्धिमत्ता और विनम्रता एक सच्चे राजा की पहचान है।
✅ शक्ति और संपत्ति से बड़ा चरित्र और न्यायप्रियता होती है।
✅ बाहरी चमक-दमक देखकर स्वयं को महान मानना भूल हो सकती है
सच्चे नेतृत्व की परीक्षा उसके कार्यों से होती है, न कि केवल शक्ति से।


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