
🐸 मेंढकों की टर्र-टर्र – प्रेरणादायक कहानी
Frog Noise – Inspirational Story
🔹 परिचय (Introduction)
कई बार, कुछ नकारात्मक बातें हमारे दिमाग में इतनी गहराई से बैठ जाती हैं कि हमें हर कोई हमारी बुराई करता हुआ महसूस होता है। लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? यह प्रेरणादायक हिंदी कहानी हमें सिखाएगी कि कैसे हमें नकारात्मकता से प्रभावित हुए बिना जीवन जीना चाहिए।
🌿 मेंढकों की टर्र-टर्र – कहानी
👨🌾 मेहनती किसान मोहन
बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में मोहन नाम का किसान रहता था। वह ईमानदार और मेहनती था। अपनी अच्छाई और व्यवहार के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध था।
लेकिन एक दिन, जब वह खेतों से लौट रहा था, उसने कुछ लोगों को अपनी बुराई करते हुए सुना।
किसी ने कहा, "मोहन घमंडी है!"
तो किसी और ने कहा, "वह अच्छा होने का सिर्फ दिखावा करता है!"
😞 मोहन का बदलाव
पहली बार अपनी बुराई सुनकर मोहन बहुत दुखी हुआ। उसे अब हर समय लगता कि लोग उसी के बारे में गलत बातें कर रहे हैं।
- जब कोई उसकी तारीफ करता, तब भी उसे लगता कि लोग उसका मजाक उड़ा रहे हैं।
- धीरे-धीरे उसका व्यवहार बदलने लगा।
- उसकी पत्नी भी चिंतित रहने लगी।
👩❤️👨 पत्नी का सुझाव
एक दिन, उसकी पत्नी ने पूछा,
"आप इतने परेशान क्यों रहते हैं?"
मोहन ने अपनी पूरी कहानी बता दी।
पत्नी ने सलाह दी,
"पास के गाँव में एक महात्मा जी आए हैं। हमें उनसे समाधान पूछना चाहिए।"
🧘 महात्मा जी की परीक्षा
अगले दिन, वे महात्मा जी के शिविर में पहुँचे।
मोहन ने पूछा,
"महाराज, मैं पहले बहुत खुश था, लेकिन अब लगता है कि हर कोई मेरी बुराई कर रहा है। मैं अपनी पुरानी प्रतिष्ठा कैसे वापस पा सकता हूँ?"
महात्मा जी बोले,
"तुम आज रात मेरे शिविर में ठहरो, तब मैं तुम्हें इसका उत्तर दूँगा।"
मोहन मान गया।
🐸 रात का कोलाहल
रात होते ही, अचानक तालाब से तेज शोर आने लगा –
"टर्र-टर्र… टर्र-टर्र…!"
मोहन घबरा गया और बोला,
"महाराज, इतनी भयानक आवाजें कहाँ से आ रही हैं?"
महात्मा जी मुस्कुराए और बोले,
"पास के तालाब में मेंढक हैं, जो रात में शोर मचाते हैं।"
🔍 समाधान की ओर
मोहन बोला,
"महाराज, ऐसे तो कोई भी सो नहीं सकता! हमें कुछ करना चाहिए।"
महात्मा बोले,
*"अगर तुम चाहो तो *इनमेंढकों को पकड़ने में हमारी मदद कर सकते हो।"
मोहन बोला,
"ठीक है! मैं गाँव से मजदूर बुलाता हूँ और इन्हें पकड़कर दूर नदी में छोड़ आता हूँ।"
🐸 रहस्य खुला
अगली सुबह, मोहन मजदूरों को लेकर आया।
उन्होंने तालाब में जाल डाला और सभी मेंढकों को पकड़ लिया।
लेकिन मोहन चकित रह गया, क्योंकि सिर्फ 50-60 मेंढक ही पकड़े गए।
उसने महात्मा जी से पूछा,
"महाराज, रात तो लगा था हजारों मेंढक टर्र-टर्र कर रहे हैं, लेकिन यहाँ तो मुट्ठी भर ही निकले!"
📖 महात्मा जी की सीख
महात्मा जी गंभीर होकर बोले,
"बेटा, यही तुम्हारी समस्या का उत्तर है!*
तुमने सुना था हजारों मेंढक शोर मचा रहे हैं, लेकिन असल में वे मुट्ठी भर ही थे।
इसी तरह, जब तुमने कुछ लोगों को अपनी बुराई करते सुना, तो तुम्हें लगा कि सभी तुम्हारी बुराई कर रहे हैं।
सच तो यह है कि बुराई करने वाले हमेशा कुछ ही लोग होते हैं।
इसलिए अगली बार, जब तुम किसी को अपनी बुराई करते सुनो, तो यह मत समझना कि पूरा संसार तुम्हारे खिलाफ है!"*
अब मोहन को अपनी गलती का अहसास हो चुका था। वह फिर से खुशहाल जीवन जीने लगा।
🌟 कहानी से सीख (Moral of the Story)
✅ हर नकारात्मक बात को बड़ा मत समझो – हमेशा सच्चाई की परख करो।
✅ कुछ बुराई करने वाले लोगों की वजह से जीवन में मत घबराओ।
✅ मेंढकों की तरह कुछ लोग हमेशा टर्र-टर्र करते रहेंगे, लेकिन हमें अपनी ज़िंदगी को सकारात्मकता से जीना चाहिए।
✅ किसी भी समस्या को घबराने की बजाय हल करने की कोशिश करो।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमेशा अपनी समस्याओं को बड़े नजरिए से देखना चाहिए।
कभी-कभी हमें बातें बड़ी लगती हैं, लेकिन जब हम उन्हें गहराई से समझते हैं, तो वे छोटी लगने लगती हैं।
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